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अब तो वक्त ऐसे गुजरता है जैसे,
नदियों का किनारा ना हो कोई।
अब तो खुद को ऐसे संभाला है जैसे,
पुराने गुलाब संभालता हो कोई।
- सानु कुमार | 5 दिसंबर 2022

कामी खलती है, कोई साथ चलने वाला हो।
फिर सोचता हूं, साथ चलने वाला हो?
- सानु कुमार | 4 दिसंबर 2022
तुम गए क्या ?
कल ही गए क्या ?
चल गए या चल दिए, बस यही सोचता रहा।
चलो, चल गए या चल दिए, अब क्या ही कहना,
थोड़ी मिलने की थी ख्वाहिश तुमसे,
थोड़े वक्त गुजारने थे मिलकर तुमसे
करनी थी चन्द बातें तुमसे,
उदास हू, ये भी क्या बताऊं तुमसे।
अंजाने मे मिले थे, इसलिए अंजान समझ कर नहीं मिले क्या?
तुम चले गए क्या?
कल ही गए क्या?
- सानु कुमार | 8 दिसंबर 2022